हरिवंशराय बच्चन कविताएं : अगर आप हरिवंशराय बच्चन कविताएं (harivansh rai bachchan poems) ढूँढ रहे हैं। तो हमारे पास है 5 प्रसिद्ध हरिवंशराय बच्चन कविताएं । ये सभी कविताएं प्रसंग सहित हैं। ये विभिन्न भाव आधरित कविताएं हैं।
हरिवंशराय बच्चन
हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध आधुनिक कवि हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 सितंबर 1907 में हुआ। इनका जन्मस्थान इलाहाबाद के प्रतापगढ़ के 1 छोटे से पट्टी गांव को माना जाता है। ये व्यक्तिवादी के अग्रणी कवि थे। 18 जनवरी 2003 को मुंबई में इनका निधन हो गया।
1. हरिवंशराय बच्चन कविताएं – साथी, सब कुछ सहना होगा!
प्रसंग – प्रस्तुत कविता ‘साथी, सब कुछ सहना होगा!’ हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध व्यक्तिवादी आधुनिक कवि ‘हरिवंशराय बच्चन’ द्वारा रचित है।
काव्यांश – 1
मानव पर जगती का शासन,
जगती पर संसृति का बंधन,
संसृति को भी और किसी के प्रतिबंधो में रहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!
काव्यांश – 2
हम क्या हैं जगती के सर में!
जगती क्या, संसृति सागर में!
एक प्रबल धारा में हमको लघु तिनके-सा बहना होगा!
साथी, सब कुछ सहना होगा!
काव्यांश – 3
चांदी, सोने, हीरे, मोती से सजवा छाते
जो अपने सिर धरवाते थे अब शरमाते
फूल कली बरसाने वाली टूट गई दुनिया
वज्रों के वाहन अम्बर में निर्भय गहराते
2. हरिवंशराय बच्चन कविताएं – हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल
प्रसंग – प्रस्तुत कविता ‘हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल‘ हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध व्यक्तिवादी आधुनिक कवि ‘हरिवंशराय बच्चन’ द्वारा रचित है।
काव्यांश – 1
चांदी, सोने, हीरे मोती से सजती गुड़िया
इनसे आतंकित करने की घडियां बीत गई
इनसे सज धज कर बैठा करते हैं जो कठपुतले
हमने तोड़ अभी फेंकी हैं हथकडियां
काव्यांश – 2
परम्परागत पुरखो की जागृति की फिर से
उठा शीश पर रक्खा हमने हिम-किरीट उजव्व्ल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल
काव्यांश – 3
चांदी, सोने, हीरे, मोती से सजवा छाते
जो अपने सिर धरवाते थे अब शरमाते
फूल कली बरसाने वाली टूट गई दुनिया
वज्रों के वाहन अम्बर में निर्भय गहराते
काव्यांश – 4
इन्द्रायुध भी एक बार जो हिम्मत से ओटे
छत्र हमारा निर्मित करते साठ-कोटी करतल
हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल
3. हरिवंशराय बच्चन कविताएं – क्या है मेरी बारी में
प्रसंग – प्रस्तुत कविता ‘क्या है मेरी बारी में।’ हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध व्यक्तिवादी आधुनिक कवि ‘हरिवंशराय बच्चन‘ द्वारा रचित है।
काव्यांश – 1
जिसे सींचना था मधुजल से
सींचा खारे पानी से,
नहीं उपजता कुछ भी ऐसी
विधि से जीवन-क्यारी में।
क्या है मेरी बारी में।
काव्यांश – 2
आंसू-जल से सींच-सींचकर
बेलि विवश हो बोता हूं,
स्रष्टा का क्या अर्थ छिपा है
मेरी इस लाचारी में।
क्या है मेरी बारी में।
काव्यांश – 3
टूट पडे मधुऋतु मधुवन में
कल ही तो क्या मेरा है,
जीवन बीत गया सब मेरा
जीने की तैयारी में|
क्या है मेरी बारी में
4. हरिवंशराय बच्चन कविताएं – अग्निपथ
प्रसंग – प्रस्तुत कविता ‘अग्निपथ‘ हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध व्यक्तिवादी आधुनिक कवि ‘हरिवंशराय बच्चन‘ द्वारा रचित है।
काव्यांश – 1
वृक्ष हों भले खड़े,
हों घने हों बड़े,
एक पत्र छाँह भी,
माँग मत, माँग मत, माँग मत,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
काव्यांश – 2
तू न थकेगा कभी,
न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
काव्यांश – 3
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
5. हरिवंशराय बच्चन कविताएं – जो बीत गई सो बात गई
प्रसंग – प्रस्तुत कविता ‘जो बीत गई सो बात गई‘ हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध व्यक्तिवादी आधुनिक कवि ‘हरिवंशराय बच्चन‘ द्वारा रचित है।
काव्यांश – 1
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
काव्यांश – 2
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
काव्यांश – 3
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
काव्यांश – 4
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई
Thank you so much ❤️ sir / ma’am I hope you enjoy it.
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