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rahat indori shayari in hindi
अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है,
ये सब धुआ है कोई आसमान थोड़ी है,
लगेगी आग तो आयेंगे घर कई जद में,
यहाँ पर सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
-राहत इंदौरी
मैं जानता हूं के मेरे दुश्मन भी कम नहीं लेकिन,
हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है,
हमारे मुहँ से जो निकले वही सदाकत है,
हमारे मुहँ में तुम्हारी जुबान थोड़ी है।
-राहत इंदौरी
जो आज साहिबे मसनद है कल नहीं होंगे,
किराएदार है जाती मकान थोड़ी है,
सभी का खून शामिल यहां की मिट्टी में,
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है।
-राहत इंदौरी
अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी ना सकूँ,
ऐसे जिद्दी है परिंदे के उड़ा भी ना सकूँ,
फूँक डालूंगा किसी रोज दिल की दुनिया,
ये तेरा खत तो नहीं कि जला भी ना सकूँ।
-राहत इंदौरी
इक ना इक रोज कहीं ढूँढ ही लूँगा तुझको,
ठोकरें जहर नहीं है कि मैं खा भी ना सकूँ,
फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं लेकिन,
इतनी कमजोर हैं शाखें की हिला भी ना सकूँ।
-राहत इंदौरी
अंधेरे चारो तरफ सायं-सायं करने लगे,
चिराग हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे,
तरक्की कर गए बीमारियों के सौदागर,
ये सब मरीज़ है जो अब दुआएँ करने लगे।
-राहत इंदौरी
लहू-लुहान पड़ा था ज़मीं पर इक सूरज,
परिंदे अपने परों से हवाएँ करने लगे,
ज़मीं पर आ गए आखों से बहकर आंसू,
बुरी खबर है फरिश्ते खताएं करने लगे।
-राहत इंदौरी
झुलस रहेंगे है यहाँ छांव बांटने वालें,
वो धूप है कि शजर इल्तिजाएं करने लगे,
अजीब रंग था मजलिस का खूब महफिल थी,
सफेद पोश उठे कांव-कांव करने लगे।
-राहत इंदौरी
अपने होने का हम कुछ इस तरह पता देते थे,
खाक मुट्ठी में उठाते थे उड़ा देते थे,
बेसमर जान के काट चुके हैं जिनको,
याद आते हैं के बेचारे हवा देते थे।
-राहत इंदौरी
rahat indori shayari in hindi
उनकी महफिल में वही सच था वो जो कुछ भी कहे,
हम भी गुंगो की तरह हाथ उठा देते थे,
अब मेरे हाल पर शर्मिंदा हुए हैं वो बुजुर्ग,
जो मुझे फलने-फूलने की दुआ देते थे।
-राहत इंदौरी
अब से पहले जो कातिल थे बहोत अच्छे थे,
कत्ल से पहले वो पानी तो पिला देते थे,
वो हमें कोसता रहता था जमाने भर में,
और हम अपना कोई शेर सुना देते थे।
-राहत इंदौरी
घर की तामीर में हम बरसों रहे हैं पागल,
रोज दीवार उठाते थे, गिरा देते थे,
हम भी उस झूठ की पेशानी को बोसा देंगे,
तुम भी सच बोलने वालों को सजा देते थे।
-राहत इंदौरी
आंख प्यासी है कोई मंजर दे,
इस जंजीरें को भी समंदर दे,
अपना चेहरा तलाश करना है,
अगर नहीं आईना तो पत्थर दे।
-राहत इंदौरी
बंद कलियों को चाहिए शबनम,
इन चिरागों में रोशनी भर दे,
पत्थरों के सरो से कर्ज उतार,
इस सदी को कोई पग्मबर दे।
-राहत इंदौरी
कहकहों में गूजर रहीं है हयात,
अब किसी दिन उदास भी कर दे,
फिर ना कहना के खुदकुशी है गुनाह,
आज फुर्सत है फैसला कर दे।
-राहत इंदौरी
इन्तेज़ामात नये सिरे से सम्भाले जाये,
जितने कमजर्फ है महफिल से निकाले जाये,
मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन,
जब मजा है तेरे आँगन में उजाले जाये।
-राहत इंदौरी
ग़म सलामत है तो पीते ही रहेंगे लेकिन,
पहले मैख़ाने की हालत सम्भाली जाये,
खाली वक़्तो में कहीं बैठ के रोलो यारों,
फुर्सत है तो समन्दर ही खंगाले जाये।
-राहत इंदौरी
खाक में यूँ ना मिला जब्त की तौहीन ना कर,
ये वो आंसू है जो दुनिया को बहा ले जाये,
हम भी प्यासे है ये एहसास तो हो साकी को,
खाली शीशे ही हवाओं में उछाले जाये।
-राहत इंदौरी
rahat indori shayari in hindi
उंगलियां यूँ ना सब पर उठाया करो,
खर्च करने से पहले कमाया करो,
जिंदगी क्या है खुद समझ जाओगे,
बारिशों में पतंगे उड़ाया करो।
-राहत इंदौरी
दोस्तों से मुलाकात के नाम पर,
नीम की पत्तियों को चबाया करो,
शाम के बाद जब तुम सहर देख लो,
कुछ फकीरों को खाना खिलाया करो
-राहत इंदौरी
अपने सीने में दो गज ज़मीं बांधकर,
आसमानों का ज़फ़र आजमाया करो,
चांद-सूरज कहाँ, अपनी मंजिल कहाँ,
ऐसे वैसे को मुहँ मत्त लगाया करो।
-राहत इंदौरी
उसकी कत्थई आखों में है, जंतर-मंतर सब,
चाकू-वाकू, छुरिया-बुरिया, खंजर-बंजर सब,
जिस दिन से तुम रूठी मुझसे सब रूठे-रूठे है,
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब।
-राहत इंदौरी
मुझसे बिछड़ कर वो भी कहाँ अब पहले जैसी है,
फीके पड़ गए कपड़े-वपङे, जेवर-वेवर सब,
अखिर मैं किस दिन डूबूंगा फिक्र करते हैं,
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया, लंगर-वंगर सब
-राहत इंदौरी
एक दिन देखकर उदास बहोत,
आ गए थे वो पास बहोत,
खुद से मैं कुछ दिनों से मिल ना सका,
लोग रहते हैं आस-पास बहोत।
-राहत इंदौरी
किसने लिखा था शहर का नोहा,
लोग पढ़कर हुए उदास बहोत,
अब कहाँ हमसे पीने वाले रहे,
एक टेबल पर एक गिलास बहोत।
-राहत इंदौरी
Thank you so much ❤️ sir / ma’am I hope you enjoy it.
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